नेपाल सरकार के मन्त्रीगण दिमागी तौर पर दिवालिया हो गया है । कोई कुछ तो कोई कुछ बड्बडाते रहता है । हो भि क्यो नहि, क्या करे क्या ना करे कुछ सुझ जो नहि रहा । सुझेगी भि कैसे, सुझने के लिए तो समझ चाहिए और समझ के लिए शिक्षा । शिक्षा तो है नहि तो क्या समझ हो । स्वयम प्रधानमन्त्री हि मैट्रीक फेल है औरो का क्या कहना । अङ्गुठाछापो का टोलि जो है । जैसे मुल्क मे या यो कहे कि नेकपा एमाले मे पढालिखा कोई लिडर है हि नहि या पढेलिखे लिडरो क कोई भेल्यु हि नहि है, तभी तो सारे रास्ट्रपती सभामुख भि लिख लोढा पढ पत्थर का हि जमावडा है ।
समस्या नेपालियो से है पर समाधान भारत से चाहते है, समस्या मधेस मे है पर समाधान मध्यप्रदेश मे ढुढ्ते है । नेपाल के मधेसी समुदाय के लोगो ने १०४ दिन से नेपाल मे बन्द हड्ताल कर रखा है, ५९ दिनो से भारत के साथ जुडे बोडरो पर आन्दोलन और धरना देकर नाका मे अवरोध कर आयात निर्यात को रोक रखा है । पर सरकार आन्दोलन कर रहे जनता और नेताओ से बात कर समाधान निकालने के बजाय भारत को दोष देरही है । आन्दोलनरत पार्टिया हाल हि मे जारी नया सम्बिधान मे बनाए गए विभिन्न प्रदेसो के सिमान्कन को लेकर असन्तुष्ट है । पर सरकार असन्तुटो से बात करने के बजाय आन्तरिक प्रदेसो के सिमान्कन के लिए भि भारत से हि बात करेगी । नेपाल के कृषि मन्त्री ने ३ दिन पुर्व बिराटनगर मे आयोजित एक कार्यक्रम मे प्रदेसो के सिमान्कन के लिए भारत के साथ बातचित करने कि बात कर सभी को चौका दिया । इससे पता चलता है कि मधेस के समस्याओ को लेकर सरकार का मनसाय क्या है । नेकपा एमाले नेतृत्व का यह तानाशाही सरकार मधेस समस्या को सुल्झाना हि नहि चाहती है । एमाले का रवैया हमेसा से मधेस बिरोधी रहा है और अभि तो एमाले और खुलकर मधेस और मधेसियो के बिरोध मे आगयी है । एमाले का मुखिया खड्ग प्रसाद शर्मा ओलि का मनसाय मधेसियो से सुलह नहि बल्की मधेसियो को और भि उत्तेजित कर मधेस को नेपाल से अलग कर देने का है क्यो कि ये जानते है कि मधेसी जब एकत्रित व एकतावद्ध होङ्गे तो नेपाल मे एमाले का पत्ता साफ हो जायेगा । इसलिए ये मधेसियो को आपस मे लडाते रहने के लिए पुरजोर कोसिस भि करते नहि थकते ।
No comments:
Post a Comment