Janapath is a national weekly newspaper of Nepal publishing from Kathmandu.
Saturday, November 28, 2015
नेपाली हुन भारतको दुश्मन नै हुनुपर्ने । - C.N. Khadga
नेपाल प्रहरिको गोलि खादा भारतिय कहलिने, भारतिय प्रहरिको गोलि खादा नेपाली कहलिने मधेसिको नियती । नेपाली हुन भारतको गोलि नै खानु पर्ने । धन्न छ नेपालिलाई, नेपाली हुन भारतको दुश्मन नै हुनुपर्ने ।
KP Oli hi hi. - C.N. Khadga
K.P. Oli hi hi, ease fuel supply.
K.P. Oli hi hi, heed peoples' Cry.
K.P. Oli hi hi, heed Madhesis' cry.
K.P. Oli hi hi, say PM's chair goodbye.
सिङ्गो नेपालको इज्जत लिलाम गर्ने लाई तुरुन्त बर्खास्त गरि कार्बाही गर्नुपर्छ । - C.N. Khadga
कतिपय मन्त्री तथा उपप्रधानमन्त्री समेतले भनेका छन् कि भारतले नेपालको १५ वटा जिल्ला हड्पेर भारतमा मिलाउन षड्यन्त्र गर्दैछ रे । यो धेरै ठूलो आपातकालिन अवस्था हो । देसको उपप्रधानमन्त्री जस्तो गरिमामय व्यक्तिकै मुखबाट यो सार्वजनिक हुनु भनेको सरकारसँग यसको पर्याप्त प्रमाण अवस्य पनि होला । यस्तो परिस्थितिमा सरकारले अबिलम्ब भारत बिरुद्ध युद्धको घोषणा गर्नुपर्छ । वीर गोर्खलीको सरकार यस्तो गम्भीर परिस्थितिमा किन खुट्टा कमाएर चुप लागेर बसेको ? हामी सम्पुर्ण नेपाली साथ छौं । तर बास्तवमा त्यस्तो होइन रहेछ र मन्त्रीहरूले बोलेको राजनितिक भासण मात्र हो भने नेपाली जनता तिमिहरुलाई जुत्ताको माला लाउन ढिलो गर्दैन । उपप्रधानमन्त्री जस्तो जिम्मेवार पदमा बसेर पनि यस्तो गैरजिम्मेवार वक्तव्य दिदै हिडेर जनतालाई मूर्ख बनाउने, त्रास फैलाउने र दुनियाँमा सिङ्गो नेपालको इज्जत लिलाम गर्ने लाई तुरुन्त बर्खास्त गरि कार्बाही गर्न वा स्वयं त्यसको जिम्मेवारी लि आफ्नो पद बाट राजिनामा गर्न प्रधान्मत्री खड्ग प्रसाद ओलिसङ्ग जोडदार माग गर्दछु ।
नेपाल के मन्त्री दिमागी तौर पर दिवालिया है । - C.N. Khadga
नेपाल सरकार के मन्त्रीगण दिमागी तौर पर दिवालिया हो गया है । कोई कुछ तो कोई कुछ बड्बडाते रहता है । हो भि क्यो नहि, क्या करे क्या ना करे कुछ सुझ जो नहि रहा । सुझेगी भि कैसे, सुझने के लिए तो समझ चाहिए और समझ के लिए शिक्षा । शिक्षा तो है नहि तो क्या समझ हो । स्वयम प्रधानमन्त्री हि मैट्रीक फेल है औरो का क्या कहना । अङ्गुठाछापो का टोलि जो है । जैसे मुल्क मे या यो कहे कि नेकपा एमाले मे पढालिखा कोई लिडर है हि नहि या पढेलिखे लिडरो क कोई भेल्यु हि नहि है, तभी तो सारे रास्ट्रपती सभामुख भि लिख लोढा पढ पत्थर का हि जमावडा है ।
समस्या नेपालियो से है पर समाधान भारत से चाहते है, समस्या मधेस मे है पर समाधान मध्यप्रदेश मे ढुढ्ते है । नेपाल के मधेसी समुदाय के लोगो ने १०४ दिन से नेपाल मे बन्द हड्ताल कर रखा है, ५९ दिनो से भारत के साथ जुडे बोडरो पर आन्दोलन और धरना देकर नाका मे अवरोध कर आयात निर्यात को रोक रखा है । पर सरकार आन्दोलन कर रहे जनता और नेताओ से बात कर समाधान निकालने के बजाय भारत को दोष देरही है । आन्दोलनरत पार्टिया हाल हि मे जारी नया सम्बिधान मे बनाए गए विभिन्न प्रदेसो के सिमान्कन को लेकर असन्तुष्ट है । पर सरकार असन्तुटो से बात करने के बजाय आन्तरिक प्रदेसो के सिमान्कन के लिए भि भारत से हि बात करेगी । नेपाल के कृषि मन्त्री ने ३ दिन पुर्व बिराटनगर मे आयोजित एक कार्यक्रम मे प्रदेसो के सिमान्कन के लिए भारत के साथ बातचित करने कि बात कर सभी को चौका दिया । इससे पता चलता है कि मधेस के समस्याओ को लेकर सरकार का मनसाय क्या है । नेकपा एमाले नेतृत्व का यह तानाशाही सरकार मधेस समस्या को सुल्झाना हि नहि चाहती है । एमाले का रवैया हमेसा से मधेस बिरोधी रहा है और अभि तो एमाले और खुलकर मधेस और मधेसियो के बिरोध मे आगयी है । एमाले का मुखिया खड्ग प्रसाद शर्मा ओलि का मनसाय मधेसियो से सुलह नहि बल्की मधेसियो को और भि उत्तेजित कर मधेस को नेपाल से अलग कर देने का है क्यो कि ये जानते है कि मधेसी जब एकत्रित व एकतावद्ध होङ्गे तो नेपाल मे एमाले का पत्ता साफ हो जायेगा । इसलिए ये मधेसियो को आपस मे लडाते रहने के लिए पुरजोर कोसिस भि करते नहि थकते ।
देशका समस्याहरू प्रती जनताले आवाज उठाउनु राम्रो - C.N. Khadga
देशका समस्याहरू प्रती जनताले आवाज उठाउनु राम्रो कुरा हो । राज्यले बेलैमा यी समस्याहरुको सन्तुलित समाधान खोज्नु जरुरी हुन्छ । अहिले मुलुक असन्तुष्टि, आन्दोलन, बन्द हडताल र अभावले बिगत १०४ दिनदेखी ग्रस्त रह्दा पनि राज्य सुतेर बसेको जस्तै छ । आशा गरौं स्कुले बालबालिकाहरुको यो सामुहिक आवाजले यो सुतेको सरकारलाई कुम्भकर्न निन्द्राबाट जगाउने छ र समस्याको मुल कारण मधेसी जनजातिको असन्तुष्टि र मागलाई अर्थपूर्ण बार्ताद्वारा सहमती र समाधान गरि मुलुकलाई निकास दिनेछ ।
Wednesday, November 11, 2015
Why India supported Nepal's Madhesh Movement 2015?
Nov. 12, 2015. Kathmandu.
Why India supported Nepal's Madhesh Movement 2015? - C.N. Khadga
Because India has witnessed closely how Government of Nepal (GoN) tried to suppress the Madhes agitation brutally in inhumane way and made genocide of 4 dozens of Madhesi protesters as well as innocent people. Despite of repeated suggestions of neighbors, friend nations and national & international organisations to find negotiated settlements of concerns of Madheshi, Janajati, Dalits and OBC (Other Backward Class), GoN totally ignored their voices and went forward unilaterally thrashing peaceful protesters and innocent commuters as well as villagers, elderly persons, women and children inhumanly. Security personnel violated all codes and boundaries of minimum human rights, which was also witnessed by National Human Rights Commission, Asian Human Rights Commission, Human Rights Watch and UN as well. How a peace loving country or organisation can support GoN in such situation? After 4 dozens of genocide of Madhesi people by security agencies, and unilateral promulgation of feudal and discriminatory constitution, the dissatisfied marginalized minority groups started stage-in agitation at borderline joining Nepal and India blocking vehicular movement and export and import of Nepal to exert more pressures on GoN and ruling parties, and as transit routes were blocked by peaceful protesters, the Indian Government stopped sending cargo vehicles to Nepal. This is the truth of blockade of Nepal's regular supply. And more interesting thing is, after starting the border oriented stage-in protests by agitating forces human life casualties stopped, police stopped killing people.
Monday, November 9, 2015
क्या ये सरकार रास्ट्र और रास्ट्रीयता के प्रती इमान्दार है ?
सरकार अगर सच मे रास्ट्रबादी है, अपनी आन्तरिक समस्या खुद सौहर्द्रतापुर्वक समाधान करने मे सक्षम है और रास्ट्रीय स्वाभिमान के लिए भारत के सामने झुकना नहि चाहती है तो अपने मधेशबासी भाइयो से किसि भि किमत पर सम्झौता करले । और तब अगर दो दिन भि भारत ने आयत निर्यात को रोक दिया तो हम सभी आसानी से उसे विश्व मन्च पर नङ्गा कर देङ्गे और क्षमा मगवाने के साथसाथ क्षतिपुर्ती सहित नाका सुचारु करबा लेङ्गे । क्या ये क्षमता नेपाल के ईश तथाकथित रास्ट्रबादी सरकार मे है ? क्या ये सरकार रास्ट्र और रास्ट्रीयता के प्रती इतना इमान्दार है ? क्या ये सरकार मधेश और मधेशियो के प्रती इतना इमान्दार है ? या सिर्फ अपनी कुर्सी के लिए सिधेसाधे नेपालियो (पहाडियो) के मनमे भारत बिरोधी भावना भड्काकर वाहवाही लेकर अपनी नालायक अनपढ गवारो का जमात मन्त्रीमन्डल मे खडा कर भ्रस्टाचार, घुसखोरी, गुन्डागर्दी, अव्यवस्था और अराजकता को बढावा देना चाहती है ?
नेपाली पुरुशमा त्यति क्षमता छैन कि कुनै अङ्गिकृत महिलासङ्ग जित्न सकोस् ?
मधेशमा भारतिय कन्या बिहे गरिल्याउने परम्परा सहस्राब्दीयौ पुरानो हो । यसले नेपालमा कुनै खतरा उत्पन्न गर्दैन । मधेश बिरोधिहरु मधेशको सम्पुर्ण व्यवस्था खल्बल्याउन र मधेशलाई छिन्नभिन्न गर्न भारत बिरोधको बहानामा त्यस्ता बुहारिलाई अनागरिक बनाउने दोस्रो दर्जाको नागरिक बनाउने षड्यन्त्र गरेको छ । हामी हाम्रो घरकी बुहारिसङ्ग यस्तो भेदभाव सहन गर्दैनौं । हाम्रो लागि छोरी र बुहारी समान छन् । यो विभेद र अन्यायको बिरुद्ध आवाज उठाउनु सबैको कर्तव्य हो । यसमा पहाडियालाई किन आपत्ती ? पहाडी समुदायमा पनि लाखौं भारतिय कन्या बिवाह गर्ने गरिन्छ त । तै पनि महिलासङ्ग किन यस्तो विभेद ? कि नेपाली पुरुशमा त्यति क्षमता छैन कि भोलि कुनै अङ्गिकृत महिलासङ्ग राजनितिमा जित्न सकोस् ? पहाडिहरु मात्रै किन यति तर्सिनु पर्ने ? यति पनि हुति छैन भने डाडुमा डुबेर मरे भो ।
नेपाल का सत्ता व सम्पुर्ण व्यवस्था सिर्फ पहाडीवाद को हि नेपाली मानती है ।
पहाडियो को सहयोग करे तो भारत नेपाल का बहुत अच्छा मित्र, पर मधेसियो को सहयोग करे तो भारत नेपाल का दुश्मन ? क्या बात है । इसि से स्पष्ट होता है कि नेपाल का सत्ता व सम्पुर्ण व्यवस्था सिर्फ पहाडीवाद को हि नेपाली मानती है । जो दास स्वभाव का मधेशी इसे स्विकार कर जयजयकार करता रहे वो ठिक, पर जो इसका बिरोध करे वो भारतिय ? ये सामन्ती सोच अब नहि चलेगी । सोच बदलो बरना मुश्किल होगा ।
भारत पहाडियो के इच्छा अनुरुप मधेशियो के खिलाफ बल प्रयोग नहि कर रहि
२०४५ साल मे शाही शासन के खिलाफ भारत ने नाकाबन्दी किया तो आज के इन धुरन्धर लोकतान्त्रिक सासको को बडा सहयोग मिला । तब चौधरी चन्द्रशेखर इन रास्ट्रबादियो के लिए मशिहा बनकर आएथे । आज उसप्रकार नाकाबन्दी भि नहि है, सिर्फ मधेसियो द्वारा नाकाबन्दी किया गया है और भारत पहाडियो के इच्छा अनुरुप मधेशियो के खिलाफ बल प्रयोग नहि कर रहि है, फलतः नाका बन्द है । तो भारत को इतना गाली ? देखो भारतियो, अपनो और परायो को पहचानो । हमेशा पहाडो मे हि बडिबडी योजनाओ मे सहयोग करते हो, मधेसियो का उपेक्षा हि करते हो । साप को कितना भि दूध पिलाओ वो कभी न कभी काटेगा हि ।
नेकपा एमाले सहमती का बाधक है ।
नेकपा एमाले सहमती का बाधक है । एमाले नहि चाहती कि मधेसियो के साथ कोइ सहमती हो और देश को निकास मिले और सभी समस्याओ क समाधन हो । इसलिए जब भि मधेसी मोर्चा और सरकारी बार्ता टोलि सहमती कि ओर कदम आगे बढाती है तबतब एमाले का गृहमन्त्री गुन्डा शैली मे मधेसी प्रदर्शनकारियो पर आक्रमन कर बातचित के माहौल को बिगाड देति है । एकबार जब अच्छी बात हुई तो बिरगन्ज मे सोते हुए धरनाकारियो पर आतन्ककारी शैली मे आक्रमन किया और फिर सम्बन्धी के घर आए मेहमान भारतिय युवक को सर मे गोलि ठोक कर मार दिया । फिर कल संसद शुरु होने के वाद जब आज के लिए बातचित कि तारिख तय हुई तो फिर सप्तरी के भारदह मे रात मे धरनाकारियो पर गुन्डा शैली मे एमाले का गृहमन्तत्री शक्ति बस्नेत ने कहर बरपाए जिससे फिर बातचित का माहौल बिगाड दिया । इससे पहले भि केपि ओलि, झलनाथ खनाल लगायत के एमाले नेता मधेसियो के प्रती उत्तेजक टिप्पणीया करते रहे है जिससे सहमती का सम्भावना घटता रहा है । इससे साबित होता है कि एमाले किसि और हि तत्व के द्वारा चालित है । मुमकिन है कि एमाले चीन के चाल मे फसा हो या फिर चीन और भारत के बिच द्वन्द्व पैदा करानेवाली किसि और हि शक्ति से प्रभावित हो । इसिप्रकार परिस्थिती कमुनिस्टो के एक और षड्यन्त्र के प्रती भि संकेत करती है । हिन्दुबादी पार्टी राप्रपा नेपाल जो कि ईश कम्युनिस्ट सरकार का एक मजबुत सहयोगी बनी हुई है, उसके प्रतिये कम्युनिस्ट शासक इमान्दार नहि है और उसके नेता कमल थापा को सरकारी बार्ता टोलि के सन्योजक के रुप मे असफल करवाने और साथ हि साथ भारत के नजर मे गिराने का षड्यन्त्र भि हो सकता है । सभी रास्ट्रबादियो को ईश कुचाल से सावधान रहना जरुरी है ।ु
Friday, November 6, 2015
Security forces are killing innocent children even dragging from lap of their parents.
There r massive human rights violations in Nepal. Security forces r shooting in head n chest of innocent people dragging children from d lap of their parents, misbehaving with women, killing innocent elderly commuters, burning tents of peaceful protesters sleeping in d night. Police beat lone pedestrians n throw them in burning fire inhumanely. Government is not deeding voice of agitating Madheshi people though they r protesting against discriminations in new constitution since 85 days.
Monday, November 2, 2015
कोशी बेच्यौ गण्डकी बेच्यौ, बेच्यौ टनकपुर - C.N. Khadga
शंका गर्छौ मधेशी माथी बेच्छन कि जनकपुर ?
मधेशिले सत्ता खोस्लान कि भनी गङ्गासम्म भारतलाई बेच्यौ,
आफ्नो सत्ता टिकाइ राख्न चेली पनि भोटलाई बेच्यौ ।
फुर्ती गर्छौ बिरताको जिन्दगी बित्छ बिदेशीकै गुलामिमा,
गुलामीको तक्मा भिरी शान देखाउछौ नेपाली भुमिमा ?
आफु पुग्छौ दिल्ली दैलो रास्ट्रवादि कहलाउछौ,
एउटा मधेसी लैनचौर जादा भारतिय हस्तक्षेप भनी रुन्छौ कराउछौ ।
पहिचान र अधिकार माग्ने जनतालाई बिदेशी भनी भड्काउने,
आफ्ना पुर्खा सखा भारतबाटै आउदा लाजै पचाउने ।
तिमिभन्दा कम रास्ट्रवादी मधेशी पनि छैनन,
आफ्नो पहिचान र अधिकार नलिइ पछि हट्ने छैन ।
तिम्रो उपनिवेश अब मधेशमा चल्दैन,
मधेश बिरोधिको दाल अब मधेशमा गल्दैन ।
मिलेर बसे दाजुभाइ नाता गासी बस्छौं,
मधेसी पहाडी मिलेर देश बिकास गर्छौ,
मिलिजुली समुन्नत नेपालको आधार जोड्छौं,
धोखाधडी षडयन्त्र गरेमा डाडा पारी धपाउछौं ।
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